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6. योग
6. योग
🕉️ प्रस्तावना
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यह अध्याय मुख्य रूप से योग, योगी, आत्म-नियंत्रित मन और विकृत मन के बारे में बताता है।
भगवान श्री कृष्ण बताते हैं कि योगी कौन है, उसके गुण क्या हैं, वह किस प्रकार योग का अभ्यास करता है, और योगी होने के लाभ क्या हैं।
आगे, वह बताते हैं कि योग क्या है, योग का अभ्यास क्यों करना चाहिए, और योग एक योगी को कहाँ ले जाता है।
अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से पूछते हैं कि कोई अपने विकृत मन को कैसे नियंत्रित कर सकता है।
भगवान श्री कृष्ण बताते हैं कि मन और बुद्धि को नियंत्रित करने के तरीके क्या हैं।
अंत में, भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि वह एक योगी बनें।
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