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श्लोक : 31 / 47

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
जो मुझमें एकीकृत है और सभी जीवों में मुझे प्रणाम करने वाला योगी है, वह सभी विश्व कार्यों में संलग्न होने के बावजूद, केवल मुझमें ही निवास करता है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक के आधार पर, मकर राशि में जन्मे लोग उत्तराद्रा नक्षत्र के तहत शनि ग्रह के प्रभाव से मार्गदर्शित होते हैं। शनि ग्रह अपनी सीमाओं और जिम्मेदारियों के माध्यम से मकर राशि वालों को एक स्थिर मानसिकता प्रदान करता है। व्यवसाय जीवन में वे अपनी जिम्मेदारियों को बहुत गंभीरता से लेते हैं, और अपने कार्यों में आध्यात्मिकता को जोड़कर आगे बढ़ना चाहिए। परिवार की भलाई में, उन्हें अपने रिश्तों का सम्मान करना चाहिए और परिवार की एकता को बनाए रखना चाहिए। स्वास्थ्य में, उन्हें अपने शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल करनी चाहिए, नियमित खान-पान की आदतों का पालन करना चाहिए। शनि ग्रह के प्रभाव से, वे अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हैं और उन्हें पार करके आगे बढ़ने की क्षमता प्राप्त करते हैं। यह श्लोक उन्हें अपने कार्यों में आध्यात्मिकता को जोड़ने और मानसिक शांति के साथ जीने का मार्गदर्शन करता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।