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श्लोक : 13 / 47

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
वह अपने सिर, गर्दन और शरीर को सीधा और सम रखे; वह हिलना नहीं चाहिए; उसे सभी दिशाओं में देखने के बजाय नाक की नोक पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, करियर/व्यवसाय
इस भगवद गीता श्लोक में, श्री कृष्ण योगासन के दौरान शरीर की स्थिति को कैसे बनाए रखना चाहिए, यह बताते हैं। यह मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र से संबंधित है। शनि ग्रह का प्रभाव इस राशि में अधिक देखा जाता है। शनि ग्रह स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर की स्थिति को सीधा और सम बनाए रखना स्वास्थ्य को सुधारता है। यदि मानसिक स्थिति एकाग्र होती है, तो व्यवसाय में सफलता प्राप्त की जा सकती है। मानसिक शांति व्यवसाय में प्रगति के लिए सहायक होती है। शनि ग्रह मानसिक स्थिरता को बढ़ाने में मदद करता है, जो व्यवसाय में दीर्घकालिक सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है। शरीर और मानसिक स्थिति को सम बनाए रखना स्वास्थ्य को सुधारता है। इससे मानसिक स्थिति स्पष्ट और शांत रहती है। इससे जीवन में ऊँचाइयाँ प्राप्त की जा सकती हैं। मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र में जन्मे लोग, इस योग स्थिति का पालन करके स्वास्थ्य और व्यवसाय में प्रगति देख सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।