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श्लोक : 48 / 72

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
अपने आप पर विजय प्राप्त करो, योग में दृढ़ रहो; सफलता और असफलता के बंधन को छोड़कर अपने कर्तव्य का पालन करो; यही करने से मन की संतुलनता बदल जाएगी; इसे ज्ञानपूर्ण कार्य कहा जाता है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, मानसिक स्थिति
मकर राशि में जन्मे लोग आमतौर पर मेहनती और जिम्मेदार होते हैं। उत्तराध्रा नक्षत्र उन्हें स्थिर मानसिकता प्रदान करता है। शनि ग्रह, इस राशि के जातकों को क्षेत्र में स्थिरता प्रदान करता है। भगवद गीता का यह श्लोक, सफलता और असफलता में बंधन रहित होकर कर्तव्यों का पालन करने के महत्व को उजागर करता है। मकर राशि के जातकों को व्यवसाय में अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए और सफलता-असफलता को ध्यान में रखे बिना कार्य करना चाहिए। वित्तीय प्रबंधन में शनि ग्रह का समर्थन मिलेगा, लेकिन इसके लिए मानसिक शांति को खोना नहीं चाहिए। मानसिक संतुलन बनाए रखकर, वे व्यवसाय और वित्त में प्रगति कर सकते हैं। इससे मानसिक शांति प्राप्त होगी, और जीवन में स्थिरता आएगी। भगवान कृष्ण की यह शिक्षा, मकर राशि के जातकों को मानसिक संतुलन बनाए रखने और सफलता-असफलता को समान रूप से मानकर कार्य करने में मदद करती है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।