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श्लोक : 20 / 72

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
यह कभी जन्म नहीं लेता, यह कभी मरता नहीं; किसी भी समय, यह कभी नहीं था, यह नहीं होगा, या यह होना भी नहीं करेगा; यह जन्महीन, शाश्वत, स्थायी और प्राथमिक है; यह कभी नहीं मारा जा सकता, उसी समय, केवल शरीर ही मारा जाएगा।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, मानसिक स्थिति
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान कृष्ण आत्मा की शाश्वत प्रकृति को स्पष्ट करते हैं। मकर राशि में जन्मे लोग, उत्तराद्रा नक्षत्र के जीवन में शनि ग्रह का प्रभाव बहुत अधिक होता है। शनि ग्रह आत्मविश्वास, धैर्य और कठिन परिश्रम का प्रतीक है। व्यवसाय और वित्त से संबंधित समस्याओं का सामना करने के लिए, उन्हें शनि ग्रह की ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। व्यवसाय में प्रगति पाने के लिए, उन्हें अपने मानसिक स्थिति को नियंत्रित करके आत्मविश्वास के साथ कार्य करना चाहिए। वित्तीय स्थिति को स्थिर रखने के लिए, उन्हें योजना बनाकर खर्चों को नियंत्रित करना चाहिए। मानसिक स्थिति को शांत बनाए रखना, उनके जीवन में शांति लाएगा। आत्मा की स्थिरता को समझकर, शरीर के प्रति लगाव को कम करना चाहिए, ताकि मानसिक शांति प्राप्त हो सके। इससे व्यवसाय और वित्तीय स्थितियों में सफलता प्राप्त की जा सकेगी। शनि ग्रह उन्हें आत्मविश्वास के साथ प्रगति करने में मदद करेगा।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।