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श्लोक : 12 / 72

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
निश्चित रूप से, मैं कभी नहीं था, तुम नहीं थे, ये सभी राजाओं का भी अस्तित्व नहीं था; और, हम सभी कभी भी आगे नहीं रहेंगे।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, परिवार
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान श्री कृष्ण आत्मा की शाश्वतता को बताते हैं। इससे संबंधित ज्योतिषीय पहलुओं में, मकर राशि, उत्तराद्रा नक्षत्र और शनि ग्रह महत्वपूर्ण हैं। मकर राशि सामान्यतः स्थिरता और जिम्मेदारी को दर्शाती है। उत्तराद्रा नक्षत्र, आत्म-सुधार और विश्वास को दर्शाता है। शनि ग्रह, सीखने और कठिन परिश्रम के माध्यम से सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। व्यवसाय, वित्त और परिवार जैसे जीवन के क्षेत्रों में, यह श्लोक हमें महत्वपूर्ण पाठ प्रदान करता है। व्यवसाय में, आत्मा की शाश्वतता की सच्चाई को समझकर, चुनौतियों का सामना करने के लिए दृढ़ता से कार्य करना चाहिए। वित्त में, शनि ग्रह के प्रभाव से, वित्तीय प्रबंधन और योजना बनाना महत्वपूर्ण है। परिवार में, रिश्तों को स्थिरता के साथ बनाए रखकर शांति प्राप्त की जा सकती है। आत्मा की शाश्वतता को समझकर, जीवन के सभी क्षेत्रों में संतुलन में कार्य करना महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, ज्योतिष और भगवद गीता की शिक्षाओं को एकीकृत करके, जीवन में शांति प्राप्त की जा सकती है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।