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श्लोक : 42 / 55

अर्जुन
अर्जुन
असुदा, और खेल के संदर्भ में, जब तुम खेलते हो, सोते हो, बैठते हो, खाते हो, और जब तुम अकेले होते हो या दूसरों के सामने होते हो, मैंने तुम्हें बुरा व्यवहार किया है; उन अनगिनत कार्यों के लिए मैं तुमसे क्षमा मांगता हूँ।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र परिवार, संबंध, धर्म/मूल्य
इस भगवद गीता श्लोक में अर्जुन अपने मित्र और गुरु कृष्ण से क्षमा मांगते हैं। यह हमें हमारे पारिवारिक रिश्तों और दोस्तों के महत्व को समझाता है। मकर राशि में जन्मे लोग आमतौर पर अपनी जिम्मेदारियों को बहुत गंभीरता से निभाने वाले होते हैं। तिरुवोणम नक्षत्र, शनि के अधीन होने के कारण, वे रिश्तों में विश्वास और सम्मान दिखाते हैं। पारिवारिक रिश्तों और दोस्तों के प्रति सम्मान दिखाकर, वे जीवन में स्थिरता प्राप्त कर सकते हैं। धर्म और मूल्यों का पालन करके, वे समाज में अच्छा नाम कमा सकते हैं। यह श्लोक हमें हमारे रिश्तों का सम्मान करने और उनके महत्व को समझने के लिए प्रेरित करता है। इससे परिवार में शांति बनी रहती है। रिश्तों में प्रेम और सम्मान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे जीवन में शांति और खुशी बनी रहेगी।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।