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श्लोक : 41 / 55

अर्जुन
अर्जुन
तुझे मेरे मित्र के रूप में सोचने के कारण, मैंने तुझे पहले, मजबूरी से 'हे कृष्णा', 'हे यादव', 'हे मेरे मित्र' कहकर बुलाया है; ये सब तेरा महिमा न जानने के कारण मेरी लापरवाही या प्रेम से उत्पन्न हुए हैं।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र संबंध, करियर/व्यवसाय, मानसिक स्थिति
इस भगवद गीता श्लोक में अर्जुन अपने मित्र के रूप में माने गए कृष्ण की दिव्य महिमा को समझकर पछताते हैं। इससे, मकर राशि और तिरुवोणम नक्षत्र वाले व्यक्तियों को अपने रिश्तों में अधिक ध्यान देना चाहिए। शनि ग्रह के प्रभाव से, वे व्यवसाय में कठिन परिश्रम के साथ आगे बढ़ेंगे, लेकिन रिश्तों में उचित मूल्य न देने से समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। मानसिक स्थिति को स्थिर रखने के लिए, ध्यान और योग जैसी आध्यात्मिक प्रथाओं का पालन करना आवश्यक है। रिश्तों में प्रेम और सम्मान को बढ़ाना, व्यवसाय में सफलता पाने में मदद करेगा। मानसिक स्थिति को स्थिर रखने के लिए, आत्मा के पुनर्जन्म के क्षणों में दिव्यता को समझकर, गलतियों को सुधारना चाहिए। इससे, वे अपने जीवन में स्थिरता प्राप्त कर सकेंगे।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।