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श्लोक : 39 / 55

अर्जुन
अर्जुन
तू वायु है; तू यमधर्म है; तू अग्नि है; तू वरुण है; तू चंद्र है; तू ब्रह्मा है; और, तू महान दादा है; क्योंकि तू ऐसा ही है, मैं उनके नामों में हजारों बार तुझे प्रणाम करता हूँ; बार-बार अपनी श्रद्धा तुझे समर्पित करता हूँ।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक में अर्जुन कृष्ण को विभिन्न देवताओं के रूप में मानकर पूजा करता है। इससे, कृष्ण सभी का एक ही स्रोत होने का ज्ञान देते हैं। मकर राशि में जन्मे लोग शनि ग्रह के प्रभाव में होते हैं, इसलिए वे अपने व्यवसाय में बहुत मेहनती होते हैं। तिरुवोणम नक्षत्र इस राशि के लिए और भी सहायक होता है। व्यवसाय में प्रगति और परिवार के कल्याण में शनि ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परिवार में एकता और स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, सही भोजन की आदतों का पालन करना चाहिए। व्यवसाय में प्रगति के लिए, जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए। परिवार में एकता बनाए रखने के लिए, सभी को समान प्रेम और समर्थन प्रदान करना चाहिए। स्वास्थ्य में सुधार के लिए, दैनिक व्यायाम और मानसिक स्थिति को संतुलित रखने के लिए ध्यान जैसी गतिविधियाँ करनी चाहिए। इस प्रकार, यह श्लोक जीवन के कई पहलुओं में संतुलन और एकता प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।