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श्लोक : 38 / 55

अर्जुन
अर्जुन
तू परम देवता है, आदि काल का मानव, ठहरने के लिए सबसे ऊँचा, सच्चा विश्राम स्थान, ज्ञात और अज्ञात; तू ही उच्चतम निवास है; ब्रह्मांड तेरा असीम रूप है।
राशी मीन
नक्षत्र रेवती
🟣 ग्रह गुरु
⚕️ जीवन के क्षेत्र परिवार, स्वास्थ्य, करियर/व्यवसाय
इस भगवद गीता श्लोक में अर्जुन कृष्ण को परम देवता के रूप में संदर्भित करते हैं। यह मीन राशि में जन्मे लोगों के लिए बहुत प्रासंगिक है, क्योंकि वे अपने मन में गहरे आध्यात्मिक अनुभव रखते हैं। रेवती नक्षत्र, गुरु ग्रह के आधिपत्य के कारण आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करता है। परिवार, स्वास्थ्य और व्यवसाय जैसे जीवन के क्षेत्रों में, यह श्लोक महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। परिवार में, सभी को एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए। स्वास्थ्य में, मानसिक शांति और आध्यात्मिक कल्याण महत्वपूर्ण है। व्यवसाय में, उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन यह समझना चाहिए कि वे स्थायी नहीं हैं। गुरु ग्रह का आधिपत्य, जीवन में उच्च लक्ष्यों की ओर बढ़ने में आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रगति करने में मदद करता है। भगवान कहाँ हैं, इसे याद रखने से, हमारा जीवन समृद्ध हो जाता है। इस प्रकार, परिवार की भलाई, स्वास्थ्य और व्यवसाय एकीकृत होकर पूर्ण जीवन का अनुभव करने में मदद करते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।