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श्लोक : 72 / 72

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
पार्थ के पुत्र, इस दिव्य स्थिति को प्राप्त करने के बाद, एक व्यक्ति कभी भी विचलित नहीं होता; इस स्थिति को प्राप्त करने के कारण, वह व्यक्ति मृत्यु के समय भी नित्य निर्वाण की शुद्ध मानसिक स्थिति को प्राप्त करता है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र मानसिक स्थिति, करियर/व्यवसाय, धर्म/मूल्य
मकर राशि में जन्मे लोग, उत्तराद्रा नक्षत्र और शनि ग्रह के प्रभाव में हैं, उन्हें दिव्य स्थिति को प्राप्त करने के लिए मानसिकता को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। यह श्लोक, भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को कहा गया है, मानसिक शांति और दिव्य स्थिति को प्राप्त करने के महत्व को स्पष्ट करता है। जब मानसिकता शांत होती है, तो व्यवसाय में बेहतर निर्णय लिए जा सकते हैं। शनि ग्रह का प्रभाव, व्यवसाय में धैर्य और संयम सिखाता है। धर्म और मूल्यों का पालन करके, जीवन में स्थिरता और मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है। उत्तराद्रा नक्षत्र, मानसिकता को संतुलित रखने में मदद करता है। इससे व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने और धर्म और मूल्यों को स्थापित करने में मदद मिलती है। यह श्लोक, मानसिकता की शांति और दिव्य स्थिति को प्राप्त करने के माध्यम से, जीवन में पूर्ण खुशी प्राप्त करने में मदद करता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।