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श्लोक : 38 / 72

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
सुख-दुख, हानि-लाभ, और, विजय-पराजय इन सब में सम स्थिति के साथ युद्ध में संलग्न हो; इस मार्ग से ऐसा करने पर, तुम कभी भी पाप को प्राप्त नहीं करोगे।
राशी मकर
नक्षत्र श्रवण
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, मानसिक स्थिति
मकर राशि में जन्मे लोग, तिरुवोणम नक्षत्र और शनि ग्रह की आशीर्वाद के साथ, जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए। यह श्लोक उनके जीवन में आने वाले विजय-पराजय, सुख-दुख में मन को समान बनाए रखने की बात करता है। व्यवसायिक जीवन में, जब वे सामना करने वाली चुनौतियों को संतुलन के साथ अपनाते हैं, तो वे अधिक वित्तीय दबावों का सामना कर सकते हैं। शनि ग्रह के प्रभाव से, उन्हें अपने मानसिक स्थिति को नियंत्रित करना और मानसिक शांति प्राप्त करना आवश्यक है। इससे, वे व्यवसाय में प्रगति कर सकते हैं और वित्तीय स्थिति को सुधार सकते हैं। मानसिक स्थिति को समान बनाए रखना, उनके जीवन में दीर्घकालिक लाभ देगा। इससे, वे किसी भी परिस्थिति में आत्मविश्वास के साथ कार्य कर सकते हैं। यह संतुलन, उन्हें पाप के विचार से मुक्त करेगा। इससे, वे आध्यात्मिक प्रगति भी प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, इस श्लोक के उपदेशों को उन्हें अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।