सब चीजों से ऊपर, सभी लोग हमेशा तुम्हारी अपमान की बात करेंगे; और एक सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बुरा है।
श्लोक : 34 / 72
भगवान श्री कृष्ण
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राशी
मकर
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नक्षत्र
उत्तराषाढ़ा
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ग्रह
शनि
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जीवन के क्षेत्र
करियर/व्यवसाय, मानसिक स्थिति, धर्म/मूल्य
इस श्लोक में भगवान कृष्ण अर्जुन को इज्जत के महत्व को समझा रहे हैं। मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र वाले लोगों के लिए शनि ग्रह का बहुत प्रभाव होता है। शनि ग्रह आमतौर पर इज्जत, अनुशासन और जिम्मेदारी का प्रतीक है। व्यवसायिक जीवन में, इन राशि वालों को ईमानदारी और जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए। इससे उन्हें इज्जत बनाए रखने में मदद मिलेगी। मानसिकता और धर्म/मूल्यों पर ध्यान देना आवश्यक है, क्योंकि अपमान उनकी मानसिकता को प्रभावित कर सकता है। मानसिक शांति पाने के लिए, वे ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास कर सकते हैं। व्यवसाय में उन्नति पाने के लिए, उन्हें हमेशा ईमानदारी और न्याय के साथ कार्य करना चाहिए। इससे वे समाज में अच्छा नाम प्राप्त कर सकेंगे। इस प्रकार, भगवान कृष्ण का उपदेश, इस राशि और नक्षत्र वाले लोगों के लिए मार्गदर्शक होगा।
इस श्लोक में, भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से उनकी इज्जत के बारे में बात कर रहे हैं। लोगों द्वारा किसी को अपमानित करना या नीचा दिखाना उसे बहुत दुख पहुंचाता है। एक सम्मानित व्यक्ति अपमानित होकर जीने की बजाय मृत्यु को बेहतर मानता है। अपमान उसके परिवार और समाज में उसकी स्थिति को प्रभावित करता है। यह आत्मविश्वास खोने का एक कारण भी बन सकता है। यह एक व्यक्ति की मानसिकता और उसके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, जीवन में अच्छा नाम और इज्जत बनाए रखना आवश्यक है।
वेदांत में, इज्जत को एक जीव के लिए महत्वपूर्ण गुण माना जाता है। लोग अपने कर्मों के अनुसार दुनिया में मान्यता प्राप्त करते हैं। अपमान एक व्यक्ति के आत्मविश्वास को खोने का एक प्रमुख कारण है। यह मन में अशांति उत्पन्न करता है। आत्मा का निर्मल होना आवश्यक है। आध्यात्मिक विकास के लिए मानसिक शांति की आवश्यकता होती है। इज्जत को सीखा नहीं जा सकता, लेकिन इसे खोना जल्दी हो सकता है। किसी के कार्य उसकी इज्जत को निर्धारित करते हैं। भगवान कृष्ण इज्जत के महत्व को बढ़ाते हुए बात कर रहे हैं।
आज के जीवन में, इज्जत और अच्छा नाम एक व्यक्ति का हिस्सा होते हैं। व्यवसाय में उन्नति पाने के लिए, किसी को ईमानदारी और इज्जत के साथ व्यवहार करना चाहिए। परिवार में एकता बनी रहे, और एक स्वस्थ वातावरण बने। पैसे और कर्ज से संबंधित दबावों को संभालने के लिए, सकारात्मक आदतें विकसित करनी चाहिए। सोशल मीडिया पर कोई क्या साझा कर रहा है, इस पर ध्यान देना आवश्यक है। यह उसकी सामाजिक इज्जत को प्रभावित कर सकता है। स्वस्थ भोजन और जीवनशैली लंबे जीवन में मदद करती है। माता-पिता को अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाना चाहिए, इससे उनकी सामाजिक इज्जत बढ़ेगी। दीर्घकालिक विचार और योजनाएं बेहतर परिणाम देंगी। इस प्रकार, भगवान कृष्ण का उपदेश आज भी प्रासंगिक है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।