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श्लोक : 16 / 72

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
जो नहीं है, उनका कोई निरंतरता नहीं है; जो है, उसका कोई स्थायी नहीं है; लेकिन, सत्य को देखने वाला निश्चित रूप से इन दोनों का अंत समझेगा।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, परिवार
इस भगवद गीता श्लोक के आधार पर, मकर राशि और उत्तराद्र्ष्टा नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों को शनि ग्रह की कृपा से अपने जीवन में स्थायी स्वभाव प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। शनि ग्रह कठिन परिश्रम और धैर्य का प्रतीक है। व्यवसाय और वित्तीय क्षेत्रों में, उन्हें अस्थायी लाभों को पार करके दीर्घकालिक दृष्टिकोण से कार्य करना चाहिए। व्यवसाय में स्थायी विकास प्राप्त करने के लिए, उन्हें सत्य को आधार बनाकर कार्य करना चाहिए। परिवार में, वास्तविक शांति प्राप्त करने के लिए, अस्थायी समस्याओं को छोड़कर दीर्घकालिक संबंधों को बढ़ावा देना चाहिए। शनि ग्रह के प्रभाव से, उन्हें अपने प्रयासों में स्थिर और धैर्यपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इससे वे जीवन के कई क्षेत्रों में स्थायी स्वभाव प्राप्त कर सकेंगे और वास्तविक शांति प्राप्त कर सकेंगे। यह श्लोक उन्हें जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने में मदद करता है, और अस्थायी समस्याओं को संभालने के लिए मानसिक दृढ़ता प्रदान करता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।