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श्लोक : 48 / 78

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
कुंठी के पुत्र, आग के धुएं की तरह ढके होने के बावजूद, काम में कमियाँ होना स्वाभाविक है, फिर भी एक रचना की शुरुआत में अपनी पूरी शक्ति को कभी मत छोड़ो।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता के श्लोक के माध्यम से, भगवान कृष्ण हमें एक महत्वपूर्ण पाठ देते हैं। मकर राशि में जन्मे लोग, उत्तराद्रा नक्षत्र में होने वालों के लिए शनि ग्रह का प्रभाव है। शनि ग्रह श्रम और धैर्य का प्रतीक है। व्यवसाय, परिवार और स्वास्थ्य, इन तीन महत्वपूर्ण जीवन क्षेत्रों में, यह श्लोक बहुत प्रासंगिक है। व्यवसाय में, शनि ग्रह के प्रभाव से, हमें अपनी कोशिशों को पूरी तरह से करना चाहिए। किसी भी काम में कमियाँ हो सकती हैं, लेकिन इससे हमारी कोशिश में कमी नहीं आनी चाहिए। परिवार में, कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए धैर्य और विश्वास की आवश्यकता है। स्वास्थ्य में, शनि ग्रह हमारे शरीर और मानसिक स्थिति को संतुलित रखने में मदद करता है। हमारे स्वास्थ्य की रक्षा के लिए, अच्छे खाने की आदतों का पालन करना चाहिए। यह श्लोक हमें एक महत्वपूर्ण याद दिलाता है: किसी भी क्रिया में पूर्ण प्रयास करें, और अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करें। शनि ग्रह के प्रभाव में, हमारी कोशिशें निश्चित रूप से फलदायी होंगी।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।