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श्लोक : 4 / 24

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
धोखा, गर्व, अहंकार, क्रोध, कठोरता, और अज्ञान; जन्म लेते ही ये असुर गुण भी साथ आते हैं।
राशी मकर
नक्षत्र मघा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक में भगवान श्री कृष्ण असुर गुणों का वर्णन करते हैं। मकर राशि में जन्मे लोग शनि ग्रह के प्रभाव में होते हैं। शनि ग्रह कठिन परिश्रम और धैर्य को दर्शाता है। लेकिन, मघा नक्षत्र गर्व और अहंकार जैसे गुणों को प्रकट कर सकता है। इसलिए, व्यवसायिक जीवन में गर्व और अहंकार को दबाकर, धैर्य से कार्य करना चाहिए। परिवार में प्रेम और स्नेह को बढ़ावा दिया जाना चाहिए; अन्यथा, रिश्तों में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। स्वास्थ्य, शनि ग्रह लंबी उम्र और स्वास्थ्य प्रदान करता है, लेकिन इसके लिए संतुलित जीवनशैली का पालन करना आवश्यक है। इससे, असुर गुणों को दबाकर, दिव्य गुणों को विकसित किया जा सकता है। यही अच्छे जीवन का मार्ग दर्शाता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।