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श्लोक : 12 / 24

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
सौ से अधिक इच्छाएँ, आसक्ति और क्रोध से बंधे हुए, वे अपने मन में आसक्ति और आनंद को स्थिर करते हैं; इसलिए, वे अनुचित तरीकों से ऊँचाई प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र वित्त, परिवार, मानसिक स्थिति
इस भगवद गीता श्लोक के आधार पर, मकर राशि में जन्मे लोग उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में शनि ग्रह के प्रभाव में हैं, उन्हें वित्त, परिवार और मानसिक स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। शनि ग्रह, विशेष रूप से मकर राशि में, किसी के जीवन में वित्तीय प्रबंधन और पारिवारिक कल्याण में समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। यदि इच्छाएँ और आसक्तियाँ अधिक हों, तो वे वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए अनुचित तरीकों से धन की खोज कर सकते हैं। इससे परिवार में मानसिक तनाव उत्पन्न होगा। मानसिक स्थिति को स्थिर रखने के लिए, उन्हें अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करके सरल जीवन का चयन करना चाहिए। पारिवारिक संबंधों को सुधारने के लिए, ईमानदारी से कार्य करना चाहिए। मानसिक स्थिति को स्थिर रखने के लिए, ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास करना चाहिए। इससे, वे मानसिक शांति प्राप्त कर सकेंगे और जीवन में स्थायी खुशी प्राप्त कर सकेंगे।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।