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श्लोक : 2 / 27

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
इस ज्ञान के साथ आश्रय प्राप्त करने के बाद, एक व्यक्ति मेरी स्वाभाविकता के अनुसार आता है; जब संसार का निर्माण होता है, वह फिर से जन्म नहीं लेता; जब संसार का विनाश होता है, वह बाधा नहीं डालता।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, स्वास्थ्य
भगवत गीता के इस श्लोक में भगवान कृष्ण द्वारा कहा गया ज्ञान, मकर राशि में जन्मे लोगों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उत्तराद्रा नक्षत्र और शनि ग्रह की प्रभाव में, वे अपने जीवन में स्थिरता और जिम्मेदारी के साथ कार्य करेंगे। व्यवसाय क्षेत्र में, वे अपने प्रयासों को नियमित और संयमित रूप से आगे बढ़ाकर सफलता प्राप्त करेंगे। वित्त प्रबंधन में, शनि ग्रह की प्रभाव से, वे खर्चों को नियंत्रित करके, ऋण के बोझ को कम करके वित्तीय स्थिरता प्राप्त करेंगे। स्वास्थ्य में, वे नियमित जीवनशैली का पालन करके, शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारेंगे। यह श्लोक उन्हें मानसिक शांति और आनंद प्रदान करता है, और वे संसार की माया से मुक्त होकर, आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त करेंगे। यह ज्ञान उन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों में संतुलन और शांति प्रदान करेगा। वे अपने जीवन को स्वार्थ के बिना, धर्म के मार्ग पर चलाकर, आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त करेंगे। इस प्रकार, वे संसार की लहरों से मुक्त होकर, पूर्ण आनंद प्राप्त करेंगे।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।