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श्लोक : 50 / 55

संजय
संजय
जब ऐसा बोलते हुए, वासुदेव ने अपने अद्भुत रूप को [चार हाथों से] अर्जुन को दिखाया; लेकिन, वह रूप फिर से अर्जुन को भयभीत कर दिया; उसके बाद, परमात्मा ने अर्जुन को सांत्वना देते हुए, [दो हाथों से] उसे स्वीकार्य रूप को फिर से दिखाया।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, मानसिक स्थिति
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान कृष्ण ने अर्जुन को अपना विश्वरूप दिखाया और फिर उसे उपयुक्त रूप दिखाया। यह मकर राशि और उत्तराद्र्रा नक्षत्र से संबंधित है, क्योंकि इस राशि और नक्षत्र वाले लोग आमतौर पर अपने व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में स्थिरता की इच्छा रखते हैं। शनि ग्रह इन पर अधिक प्रभाव डालता है, इसलिए उन्हें अपनी मानसिकता को संतुलित करके व्यवसाय में प्रगति करनी चाहिए। पारिवारिक संबंधों को बनाए रखने के लिए सरल दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। यदि मानसिकता शांत हो, तो व्यवसाय में नए अवसर प्राप्त किए जा सकते हैं। परिवार में प्रेम और आपसी समझ को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भगवान कृष्ण की करुणा को समझकर, मानसिक तनाव को संभालने के लिए ध्यान और योग जैसी आध्यात्मिक प्रथाओं को अपनाना अच्छा है। इस प्रकार, भगवद गीता की शिक्षाओं को जीवन में लागू करके, खुशी और शांति प्राप्त की जा सकती है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।