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श्लोक : 47 / 55

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
अर्जुन, मैं अपनी पूर्णता के माध्यम से, तुम्हें अपना यह दिव्य रूप दिखाने में आनंदित हूँ; वह रूप सम्पूर्ण ब्रह्मांड में प्रकाश से भरा हुआ है, यह सभी के लिए एक अनंत आश्रय है; तुम्हारे अलावा और कोई भी मेरे इस रूप को पहले नहीं देख चुका है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, धर्म/मूल्य
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान कृष्ण अर्जुन को दिव्य रूप दिखाकर, मनुष्यों को उनके जीवन में उच्चतम लक्ष्यों को प्राप्त करने का मार्ग दिखाते हैं। मकर राशि में स्थित लोग, उत्तराद्रा नक्षत्र की ऊर्जा से, अपने व्यवसाय में बहुत प्रयास और जिम्मेदारी से कार्य करेंगे। शनि ग्रह के प्रभाव के कारण, वे अपने परिवार और समाज के लिए एक मजबूत समर्थन बनेंगे। व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए, उन्हें धर्म और मूल्यों के आधार पर कार्य करना चाहिए। इस प्रकार, दिव्यता की अनुभूति करते हुए, वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्यों की ओर बढ़ सकते हैं। इस प्रकार, भगवान कृष्ण के दिव्य रूप की तरह, वे अपने जीवन को प्रकाश से भरकर, दूसरों के लिए मार्गदर्शक बनेंगे।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।