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श्लोक : 17 / 34

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
मैं इस संसार का माता और पिता हूँ; मैं संतुलन हूँ; मैं पूर्वज हूँ; मैं ज्ञान का सार हूँ; मैं पवित्र हूँ; मैं पवित्र मंत्र ओम हूँ; मैं तीन वेदों [ऋक, साम और यजुर] का स्रोत हूँ।
राशी मिथुन
नक्षत्र आर्द्रा
🟣 ग्रह बुध
⚕️ जीवन के क्षेत्र परिवार, करियर/व्यवसाय, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान कृष्ण स्वयं को संसार का माता, पिता, पूर्वज बताते हैं। यह मिथुन राशि और तिरुवादिरा नक्षत्र से संबंधित है। बुध ग्रह की कृपा से, मिथुन राशि वाले अपने परिवार में अच्छे संबंध स्थापित कर सकते हैं और रिश्तों को सुधार सकते हैं। परिवार में एकता और आपसी समझ महत्वपूर्ण है। व्यवसाय क्षेत्र में, बुध ग्रह की बुद्धिमत्ता का उपयोग करके, नए विचार और योजनाएँ बनाकर आगे बढ़ सकते हैं। स्वास्थ्य, ध्यान और योग के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त कर, शारीरिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं। भगवान कृष्ण की उपदेशों का पालन करके, सभी क्षेत्रों में संतुलन और कल्याण प्राप्त किया जा सकता है। इससे जीवन में पूर्ण प्रगति और शांति प्राप्त की जा सकती है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।