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श्लोक : 31 / 42

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
गुरु वंश में श्रेष्ठतम, 'अमृत के अंशों का स्वाद लेना' जैसे त्याग का अनुभव करने वाला मनुष्य, नित्य ब्रह्म के निवास स्थान को प्राप्त करता है; लेकिन, किसी भी मनुष्य के लिए जो पूजा नहीं करता, इस दुनिया में या किसी अन्य दुनिया में कोई स्थान नहीं है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, दीर्घायु
इस भगवद गीता सुलोक के आधार पर, मकर राशि वालों के लिए उत्तराधान नक्षत्र और शनि ग्रह का प्रभाव महत्वपूर्ण है। मकर राशि आमतौर पर कठिन परिश्रम और जिम्मेदारी को दर्शाती है। उत्तराधान नक्षत्र, त्याग के माध्यम से उन्नति प्राप्त करने में मदद करता है। शनि ग्रह, त्याग और जिम्मेदारी का ग्रह है, जो जीवन में लंबी उम्र, व्यवसाय में प्रगति और पारिवारिक कल्याण को सुनिश्चित करता है। व्यावसायिक जीवन में, मकर राशि वालों के लिए त्याग की मानसिकता के साथ कार्य करना महत्वपूर्ण है। यह उन्हें दीर्घकालिक सफलता और मानसिक संतोष प्रदान करेगा। परिवार में, त्याग और जिम्मेदारी के साथ कार्य करने से रिश्ते मजबूत होंगे। लंबी उम्र के लिए, शरीर और मानसिक स्थिति को संतुलित रखना आवश्यक है। त्याग और जिम्मेदारी के साथ कार्य करने से, मकर राशि वाले आत्मिक प्रगति और स्थायी शांति प्राप्त कर सकते हैं। यह सुलोक मकर राशि वालों को त्याग के माध्यम से जीवन में उन्नति प्राप्त करने का मार्गदर्शन करता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।