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श्लोक : 37 / 43

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
यह एकाग्रता और क्रोध है, यह प्रकृति की तृष्णा [राजस] गुण से उत्पन्न होता है; यह सभी बड़े पापों को निगल जाता है; यह इस दुनिया का शत्रु है।
राशी मकर
नक्षत्र मूल
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, मानसिक स्थिति
इस भगवद गीता श्लोक में, इच्छा और क्रोध मानव मन की स्थिति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक माने जाते हैं। मकर राशि में जन्मे लोग अक्सर अपने व्यवसाय में बहुत प्रयास और कठिन परिश्रम दिखाते हैं। मूल नक्षत्र वाले लोग, आमतौर पर अपने परिवार के कल्याण पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। शनि ग्रह, मकर राशि का स्वामी होने के नाते, व्यवसाय और परिवार में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक दृढ़ता प्रदान करता है। लेकिन, शनि ग्रह के प्रभाव के कारण, मानसिक स्थिति स्थिर नहीं रह सकती, और इच्छा और क्रोध बढ़ने की संभावना होती है। इसलिए, व्यवसाय में गलत निर्णय लेने से बचने के लिए, मानसिक स्थिति को नियंत्रित करना आवश्यक है। पारिवारिक संबंधों में शांति बनाए रखने के लिए, इच्छा और क्रोध को कम करके, मानसिक स्थिति को स्थिर रखना चाहिए। इसके लिए, ध्यान और योग जैसी आध्यात्मिक प्रथाओं को अपनाना अच्छा है। इस प्रकार, मानसिक स्थिति को नियंत्रित करके, जीवन के कई क्षेत्रों में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।