Jathagam.ai

श्लोक : 37 / 78

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
शुरुआत में विष के समान और अंत में अमृत के समान होने वाला सुख; आत्मज्ञान से उत्पन्न सुख; ऐसा सुख, गुण [सत्व] के साथ होने का कहा गया है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक के आधार पर, मकर राशि और उत्तराद्र नक्षत्र वाले लोगों के लिए शनि ग्रह का प्रभाव महत्वपूर्ण है। शनि ग्रह आत्मविश्वास, धैर्य और कठिन परिश्रम को दर्शाता है। इसके कारण, व्यवसाय में शुरुआत में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन दीर्घकाल में यह अमृत के समान फल देगा। परिवार में जिम्मेदारियों का एहसास कर कार्य करना चाहिए; यह परिवार की भलाई में मदद करेगा। स्वास्थ्य, स्वस्थ भोजन की आदतों का पालन करके, शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारना चाहिए। आत्मज्ञान के द्वारा आने वाला सुख, जीवन में स्थिरता और शांति प्रदान करता है। शनि ग्रह की कृपा से, जीवन की चुनौतियों का सामना कर, सफलता प्राप्त की जा सकती है। आत्म-प्रयास से, व्यवसाय में प्रगति देखी जा सकती है। परिवार के रिश्तों का सम्मान करना और उनके साथ समय बिताना महत्वपूर्ण है। स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना दीर्घायु के लिए सहायक होता है। शनि ग्रह हमें आत्म-स्वरूप में लाने के लिए प्रेरित करता है, जो हमें मुक्ति की ओर ले जाने का मार्ग है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।