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श्लोक : 2 / 28

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
नम्रता [सत्व], लालसा [राजस], या अज्ञानता [तमस] जैसे तीन गुणों के साथ आत्मा एक अंतर्निहित विश्वास के साथ जन्म लेती है। अब, इसके बारे में मुझसे पूछो।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, धर्म/मूल्य
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान श्री कृष्ण तीन गुणों के बारे में बताते हैं: सत्व, राजस, तमस। मकर राशि और उत्तराद्र्रा नक्षत्र वाले लोगों के लिए शनि ग्रह महत्वपूर्ण है। शनि ग्रह अनुशासन, धैर्य, और कठिन परिश्रम को दर्शाता है। इसलिए, व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में शनि ग्रह का प्रभाव बहुत अधिक होता है। व्यवसाय में, सत्व गुण को प्रोत्साहित करके, ईमानदारी और धैर्य के साथ कार्य करना महत्वपूर्ण है। परिवार में, राजस गुण को नियंत्रित करके, प्रेम और स्नेह को बढ़ाना चाहिए। धर्म और मूल्य जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; शनि ग्रह इसे प्रोत्साहित करता है। सत्व गुण को बढ़ाने के लिए, आध्यात्मिक अभ्यास और धर्म के मार्गों में संलग्न होना आवश्यक है। इससे जीवन में संतुलन और भलाई आएगी। शनि ग्रह, सत्व गुण को प्रोत्साहित करके, राजस और तमस गुणों को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे जीवन में भलाई, शांति, और प्रगति होती है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।