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15. परम आत्मा
15. परम आत्मा
🕉️ प्रस्तावना
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यह अध्याय अविनाशी अश्वत्थ वृक्ष, भगवान श्री कृष्ण की महिमा और परम आत्मा के बारे में बताता है।
भगवान श्री कृष्ण अविनाशी अश्वत्थ वृक्ष के बारे में बताते हैं और कहते हैं कि उस वृक्ष की जड़ स्थान को खोजना बहुत कठिन है।
और, वह अपनी विभिन्न महिमाओं के बारे में विस्तार से बताते हैं जो पूरे विश्व को ऊर्जा देती हैं।
वह आगे अपनी परम आत्मा के शाश्वत स्वरूप के बारे में बताते हैं।
इस अध्याय में, भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि आत्मा एक शरीर से मन को ले जाती है और दूसरे शरीर में लाती है।
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