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श्लोक : 4 / 27

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
कुंठी के पुत्र, प्रकट होने वाले सभी रूपों का आधार पूर्ण दिव्यता है; सभी रूपों का मैं आधार हूँ; मैं बीज बोने वाला पिता हूँ।
राशी मिथुन
नक्षत्र आर्द्रा
🟣 ग्रह बुध
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक के माध्यम से, श्री कृष्ण सभी जीवों के आधार होने की व्याख्या करते हैं। मिथुन राशि में जन्मे लोग, तिरुवाधिरा नक्षत्र के तहत, बुध ग्रह की कृपा से, व्यवसाय, परिवार और स्वास्थ्य जैसे जीवन के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं। मिथुन राशि, बुध ग्रह की कृपा से, बुद्धिमत्ता और सूचना के आदान-प्रदान में उत्कृष्टता प्राप्त करती है। यह व्यवसाय में नए अवसरों का निर्माण करती है। परिवार में, सभी एक ही दिव्य आधार से आए हैं, इसलिए रिश्तों और संबंधों में अच्छे संबंध और समझ विकसित होती है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में, मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल की जाएगी। यह, भगवान कृष्ण द्वारा कहे गए दिव्य आधार में विश्वास रखकर, मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करेगा। इससे दीर्घकालिक स्वस्थ जीवनशैली का निर्माण होगा। मिथुन राशि के लोग, इस दिव्य सत्य को समझकर, अपने जीवन में प्रगति कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।