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श्लोक : 15 / 27

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
बड़ी आस [राजस] गुण के प्रभाव के दौरान आत्मा मृत्यु के समय अलग हो जाती है, तब वह आत्मा हमेशा फलदायी कार्यों में संलग्न लोगों के बीच पुनर्जन्म लेगी; उसी समय, अज्ञानता [तमस] गुण के प्रभाव के दौरान आत्मा मृत्यु के समय अलग हो जाती है, तब वह आत्मा मूर्खों के पेट में पुनर्जन्म लेगी।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, परिवार
इस श्लोक में, भगवान श्री कृष्ण आत्मा के पुनर्जन्म को उसके गुणों के आधार पर स्पष्ट करते हैं। मकर राशि और उत्तराद्र नक्षत्र वाले लोगों के लिए शनि ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शनि ग्रह के प्रभाव में, व्यवसाय और वित्त से संबंधित प्रयासों में धैर्य और संयम आवश्यक है। राजस गुण वाले लोग फलदायी कार्यों में संलग्न होंगे; यह व्यवसाय में अधिक प्रयास और विकास देगा। लेकिन, तमस गुण अज्ञानता को प्रकट करता है, जिससे पारिवारिक संबंधों में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। मकर राशि में जन्मे लोग, शनि ग्रह के प्रभाव से, वित्त प्रबंधन में कंजूस होना चाहिए। पारिवारिक कल्याण में, शनि ग्रह स्थिर विकास सुनिश्चित करता है। उसी समय, व्यवसाय में शनि ग्रह कठिनाइयाँ उत्पन्न कर सकता है; लेकिन, इसे संभालने के लिए धैर्य और संयम की आवश्यकता है। इस श्लोक के माध्यम से, भगवान कृष्ण हमें सत्त्व गुण को विकसित करने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि जीवन के सभी क्षेत्रों में संतुलन और आनंद प्राप्त किया जा सके।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।