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श्लोक : 10 / 35

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
बिना बंधन के ध्यान रखना; पत्नी, बच्चे, घर और दूसरों के साथ बंधे बिना रहना; हमेशा पसंदीदा और अप्रिय लोगों के प्रति समान रहना।
राशी कन्या
नक्षत्र हस्त
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र परिवार, मानसिक स्थिति, धर्म/मूल्य
कन्या राशि में स्थित अस्तम नक्षत्र और शनि ग्रह का प्रभाव, पारिवारिक जीवन में आसक्ति को कम करने और मानसिक स्थिति को संतुलित करने में मदद करता है। भगवद गीता के 13:10 श्लोक के अनुसार, बिना बंधन के रहना मानसिक शांति का मार्ग है। पारिवारिक संबंधों में आसक्ति को कम करके, सभी के प्रति समान रहना, मानसिक स्थिति को स्थिर रखने में मदद करता है। शनि ग्रह धर्म और मूल्यों को महत्व देता है, जिससे जीवन में न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने में सहायता मिलती है। इससे परिवार में संतुलन और मानसिक शांति की स्थिति प्राप्त की जा सकती है। आसक्ति के बिना रहना, आध्यात्मिक विकास का आधार है। इससे जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं होने की भावना उत्पन्न होती है। इसके माध्यम से, मन की स्वतंत्रता और आनंद प्राप्त होता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।