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श्लोक : 15 / 20

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
जो दूसरों द्वारा उत्तेजित नहीं होता; जो दूसरों को उत्तेजित नहीं करता; जो दूसरों द्वारा परेशान नहीं किया जाता; जो सुख, धैर्यहीनता, और भय-तनाव से मुक्त है; ऐसे व्यक्ति मुझको बहुत प्रिय हैं।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र मानसिक स्थिति, करियर/व्यवसाय, परिवार
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान श्री कृष्ण सच्चे भक्त के गुणों को बताते हैं। मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र वाले लोग, शनि ग्रह के प्रभाव में, मानसिक स्थिति को समान बनाए रखने में कुशल होते हैं। ये दूसरों द्वारा उत्तेजित नहीं होते, और न ही दूसरों को उत्तेजित करते हुए शांति से रह सकते हैं। व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में संतुलन और मानसिक शांति की आवश्यकता वाले स्थानों पर, ये अपनी मानसिक स्थिति को नियंत्रित करके समस्याओं का सामना कर सकते हैं। शनि ग्रह, धैर्य और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है। इस कारण, ये अपने व्यवसाय और परिवार में स्थिरता प्राप्त कर सकते हैं। मानसिक स्थिति का संतुलन, व्यवसाय में प्रगति और पारिवारिक कल्याण में ये उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं। इस प्रकार, भगवद गीता की शिक्षाओं का पालन करके, ये जीवन में शांति और संतोष प्राप्त कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।