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श्लोक : 13 / 20

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
जो ईर्ष्या रहित है; सभी जीवों के प्रति मित्रता और करुणा रखने वाला; स्वार्थ रहित; विनम्रता से रहने वाला; अहंकार रहित; सुख और दुख में समान रहने वाला; धैर्यवान; अत्यंत संतुष्ट; ऐसे लोग मुझे बहुत प्रिय हैं।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, मानसिक स्थिति
इस भगवद गीता श्लोक में भगवान कृष्ण द्वारा बताए गए गुण, मकर राशि और उत्तराद्र्षा नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। शनि ग्रह के प्रभाव से, ये लोग धैर्य, स्वार्थ रहित होना, और ईर्ष्या रहित गुणों को आसानी से विकसित कर सकते हैं। व्यवसायिक जीवन में, ये धैर्यपूर्वक कार्य करते हुए, स्वार्थ रहित तरीके से दूसरों के साथ मिलकर काम करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं। परिवार में, ये सभी के प्रति मित्रता और करुणा से व्यवहार करते हुए रिश्तों को मजबूत बनाएंगे। मानसिक स्थिति में, ये सुख और दुख को समान रूप से लेकर मानसिक संतोष प्राप्त करेंगे। इस प्रकार, इन गुणों का अभ्यास करके, ये जीवन के असली महत्व को समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए, इन्हें इन गुणों को अपने जीवन में लागू करना चाहिए।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।