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श्लोक : 21 / 42

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
आदित्य के 12 पुत्रों में, मैं विष्णु; प्रकाश के बीच, मैं सूर्य; वायु के बीच, मैं मरिचि; नक्षत्रों के बीच, मैं चंद्रमा।
राशी कर्क
नक्षत्र पुष्य
🟣 ग्रह चंद्र
⚕️ जीवन के क्षेत्र परिवार, मानसिक स्थिति, भोजन/पोषण
इस श्लोक में भगवान कृष्ण अपने दिव्य शक्तियों का वर्णन करते हैं। कर्क राशि और पूषा नक्षत्र वाले व्यक्तियों को चंद्रमा की शक्ति से मन की स्थिति को शांत रखना चाहिए। परिवार के रिश्तों में चंद्रमा की शांति की तरह शांति और प्रेम से व्यवहार करना चाहिए। आहार की आदतों में चंद्रमा की रोशनी की तरह शुद्ध आहार लेना अच्छा है। मन की स्थिति को संतुलित रखने के लिए, ध्यान और योग जैसी गतिविधियों का पालन करना चाहिए। परिवार में प्रत्येक व्यक्ति को प्रेम और स्नेह व्यक्त करना आवश्यक है। मन की स्थिति को स्थिर रखने के लिए, चंद्रमा की शक्ति को समझकर, मन की शांति को स्थापित करना चाहिए। आहार की आदतों में स्वस्थ और पौष्टिक भोजन लेना, शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति में मदद करेगा। परिवार में प्रत्येक व्यक्ति को दिव्यता के प्रतिबिंब के रूप में समझकर, उनके साथ अच्छे रिश्ते विकसित करने चाहिए। चंद्रमा की शक्ति से मन की स्थिति शांत रहने पर, परिवार में खुशी बनी रहेगी।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।