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श्लोक : 18 / 42

अर्जुन
अर्जुन
जनार्दन, तेरी दिव्य श्रेष्ठता के बारे में फिर से विस्तार से कह; तेरी अमृत जैसी श्रेष्ठता को एक बार सुनकर मुझे संतोष नहीं है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, मानसिक स्थिति
इस श्लोक में अर्जुन, कृष्ण के दिव्य गुणों को और जानने के लिए उत्सुक हैं। इस प्रकार दिव्य ज्ञान की खोज, मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शनि ग्रह की प्रभाव के कारण, ये अपने व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में जिम्मेदारी से कार्य करेंगे। व्यवसाय में प्रगति पाने के लिए, दिव्य ज्ञान की खोज और मानसिक स्थिति स्थिर रहनी चाहिए। पारिवारिक संबंध और मानसिक स्थिति को संतुलित रखने के लिए, दिव्य गुणों के बारे में जानकर कार्य करना आवश्यक है। कृष्ण के शब्द, इनकी मानसिकता को सुधारेंगे और व्यवसाय में नई ऊंचाइयों तक पहुँचने का मार्गदर्शन करेंगे। इससे, पारिवारिक कल्याण और मानसिक स्थिति में सुधार होगा। इसके अलावा, दिव्य ज्ञान, इनके जीवन में संतुलन स्थापित करेगा।
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