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श्लोक : 56 / 72

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
जो व्यक्ति तीन प्रकार के दुखों को अपने मन में नहीं रखता, जो सुख में अधिक चिंता नहीं करता, जो संबंध, भय और क्रोध से मुक्त है; ऐसा व्यक्ति योगी माना जाता है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र मानसिक स्थिति, परिवार, दीर्घायु
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान कृष्ण योगी के गुणों का वर्णन करते हैं। मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र वाले व्यक्तियों को, शनि ग्रह के प्रभाव के कारण, मानसिक स्थिति को स्थिर रखने पर अधिक ध्यान देना चाहिए। यदि मानसिक स्थिति स्थिर रहती है, तो परिवार की भलाई भी सुधरती है। शनि ग्रह, दीर्घकालिक जीवन देने की शक्ति रखता है। इसलिए, मन में शांति स्थापित करना और भय तथा क्रोध को कम करना महत्वपूर्ण है। परिवार के संबंधों को सुधारने के लिए, मन की शांति आवश्यक है। दीर्घकालिक जीवन के प्रयासों में, योग और ध्यान जैसे उपाय मदद कर सकते हैं। मानसिक स्थिति को स्थिर रखना, परिवार में खुशी लाएगा। शनि ग्रह का प्रभाव, जीवन में चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है, लेकिन मानसिक स्थिति को स्थिर रखना उन्हें संभालने में मदद करेगा। इससे, दीर्घकालिक जीवन और परिवार की भलाई में सुधार होगा। मन की शांति, जीवन के कई क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में मदद करेगी।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।