Jathagam.ai

श्लोक : 4 / 47

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
इंद्रियों के लिए, सभी इच्छाओं और कार्यों में बंधे बिना संलग्न होने वाला वह साधक योगसिद्धि प्राप्त करने वाला माना जाता है।
राशी कन्या
नक्षत्र हस्त
🟣 ग्रह बुध
⚕️ जीवन के क्षेत्र मानसिक स्थिति, करियर/व्यवसाय, परिवार
इस भगवद गीता श्लोक के आधार पर, कन्या राशि और अस्तम नक्षत्र वाले व्यक्तियों को अपने मन को नियंत्रित करके इंद्रियों की इच्छाओं से मुक्त होना चाहिए। बुध ग्रह उनकी बुद्धिमत्ता को बढ़ाएगा, जिससे वे व्यवसाय में आगे बढ़ेंगे और नए विचारों का निर्माण कर सकेंगे। यदि मन की स्थिति शांत है, तो परिवार में अच्छे संबंध बनाए रखे जा सकते हैं। इच्छाएँ कम होने पर, मन की स्थिति स्थिर रहेगी, जिससे व्यवसाय में ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। परिवार में शांति बनी रहे, मन की स्थिति को नियंत्रित करके इंद्रियों की इच्छाओं को त्यागना चाहिए। इससे जीवन में उन्नति प्राप्त की जा सकती है। योगसिद्धि प्राप्त करने के लिए, मन को नियंत्रित करके इंद्रियों की इच्छाओं से मुक्ति पाना चाहिए। इसके माध्यम से, व्यवसाय और परिवार में अच्छी प्रगति देखी जा सकती है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।