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श्लोक : 5 / 47

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
अपने स्वाभाविक आत्मा के माध्यम से खुद को ऊँचा उठाओ; अपनी आत्मा से खुद को नीचा मत गिराओ; इसलिए, तुम्हारा स्वभाव तुम्हारी आत्मा का मित्र है; और वास्तव में, तुम्हारा स्वभाव निश्चित रूप से तुम्हारी आत्मा का दुश्मन है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, मानसिक स्थिति, परिवार
इस भगवद गीता श्लोक के आधार पर, मकर राशि में जन्मे लोगों के लिए उत्तराधाम नक्षत्र और शनि ग्रह का प्रभाव महत्वपूर्ण है। मकर राशि में शनि ग्रह की मजबूती के कारण, व्यवसाय में प्रगति के लिए आत्म-विश्वास और मेहनत आवश्यक है। उत्तराधाम नक्षत्र, हमारे मानसिक स्थिति को नियंत्रित करने और हमारी आंतरिक शक्तियों को प्रकट करने में मदद करता है। व्यवसाय में स्थिर रहने के दौरान, मानसिक स्थिति को शांत रखना महत्वपूर्ण है। परिवार में अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए, मन को शांत रखकर, सभी के लिए सहायक बनना चाहिए। शनि ग्रह, हमारी मानसिक स्थिति की परीक्षा लेते समय, हमें अपने मन को स्थिर रखकर, अपनी आंतरिक शक्तियों को प्रकट करना चाहिए। इससे, हमारे व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में प्रगति देखने को मिल सकती है। जब मानसिक स्थिति शांत होती है, तो परिवार में अच्छे संबंध बनते हैं। यही हमारे जीवन में दीर्घकालिक लाभ लाता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।