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श्लोक : 6 / 55

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
भरत कुल में श्रेष्ठतम, अदिती के पुत्र, वसु, रुद्र के पुत्र, जुड़वां अश्विन देवता, मारूत का पुत्र और इससे पहले देखे गए कई अद्भुत व्यक्तियों को देखो।
राशी धनु
नक्षत्र अश्विनी
🟣 ग्रह गुरु
⚕️ जीवन के क्षेत्र परिवार, करियर/व्यवसाय, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता श्लोक में, भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को अपना विश्वरूप दिखाते हैं। इसके माध्यम से, सभी रूपों में भगवान के व्याप्त होने को दर्शाते हैं। धनु राशि और अश्विन नक्षत्र वाले लोग, गुरु ग्रह के प्रभाव से, अपने परिवार में अच्छी एकता स्थापित कर सकते हैं। पारिवारिक संबंधों में प्रेम और आपसी समझ महत्वपूर्ण है। व्यवसाय में, गुरु ग्रह के समर्थन के कारण, नए अवसर मिलेंगे। व्यवसाय में सफलता पाने के लिए, आत्मविश्वास और विश्वास को बढ़ाना चाहिए। स्वास्थ्य में, दैनिक व्यायाम और सही आहार की आदतें आवश्यक हैं। इससे, दीर्घकालिक जीवन और स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है। यह श्लोक हमें बताता है कि हम सभी एक ही आत्मा के भाग हैं। इसके माध्यम से, हम सभी एकजुट विश्व का निर्माण कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।