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श्लोक : 7 / 55

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
कुडकेशा, अब, इस ब्रह्मांड के सभी जीव मेरे शरीर में पूरी तरह से एक साथ खड़े हैं; और, तुम जो देखना चाहते हो, उसके अलावा और कुछ देखो।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र परिवार, करियर/व्यवसाय, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता सुलोके में, भगवान कृष्ण अर्जुन को ब्रह्मांड के सभी जीवों के उनके शरीर में होने की बात बताते हैं। इससे, सभी जीव एक ही परमात्मा के अंग होने का अनुभव करते हैं। इसे ज्योतिष में 'मकर' राशि और 'उत्तराद्र' नक्षत्र के साथ जोड़ा जा सकता है। शनि ग्रह इस राशि का अधिपति होने के कारण, यह जीवन में कठिनाइयों को संभालने के लिए मानसिक दृढ़ता प्रदान करता है। परिवार में एकता बढ़ाने, व्यवसाय में आत्मविश्वास से कार्य करने, स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए, यह सुलोका मार्गदर्शन करता है। परिवार में एकता और आपसी समझ महत्वपूर्ण है। व्यवसाय में, सहकर्मियों के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना आवश्यक है। स्वास्थ्य में, मानसिक शांति को बढ़ावा देने के लिए योग और ध्यान जैसी गतिविधियाँ करना अच्छा है। इस प्रकार, सभी जीवों का एक साथ होना समझकर, जीवन के सभी क्षेत्रों में संतुलन और शांति प्राप्त कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।