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श्लोक : 12 / 28

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
इंद्रियों के सभी दरवाजों को बंद करके, मन को हृदय में समेटने और प्राण वायु को भृकुटी में स्थिर करने के माध्यम से, एक व्यक्ति योग में स्थिर हो सकता है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, करियर/व्यवसाय
भगवद गीता के इस श्लोक में, भगवान श्री कृष्ण योग के माध्यम से मन को शांत करने का तरीका बताते हैं। मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र शनि ग्रह द्वारा शासित होते हैं। शनि, अपनी नियंत्रण और धैर्य के माध्यम से स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद करता है। स्वास्थ्य, शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार है। यदि मानसिक स्थिति स्थिर है, तो व्यवसाय में प्रगति की जा सकती है। व्यवसाय में सफलता के लिए मानसिक शांति और स्वास्थ्य आवश्यक हैं। योग के माध्यम से इंद्रियों को नियंत्रित करके, मन को हृदय में समेटना, मानसिक अशांति को कम करके स्वास्थ्य को सुधारता है। इससे व्यवसाय में आत्मविश्वास के साथ कार्य किया जा सकता है। शनि ग्रह का समर्थन, आत्मविश्वास और धैर्य को बढ़ाने में मदद करता है। इससे जीवन में स्थिरता प्राप्त की जा सकती है। योग के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त करके, स्वास्थ्य और व्यवसाय में उत्कृष्टता प्राप्त की जा सकती है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।