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श्लोक : 8 / 30

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
कुंठी के पुत्र, मैं पानी का स्वाद हूँ; मैं सूर्य और चंद्रमा में चमकता हूँ; सभी वेदों में मैं 'ओम' नामक पवित्र अक्षर हूँ; मैं आकाश का ध्वनि हूँ; मैं मानव की वीरता हूँ।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह सूर्य
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
इस भगवद गीता सुलोचन के माध्यम से, भगवान कृष्ण स्वयं को ब्रह्मांड के आधार के रूप में बताते हैं। मकर राशि में जन्मे लोगों के लिए, उत्तराद्रा नक्षत्र और सूर्य ग्रह का आधिपत्य है। यह व्यवसाय, परिवार और स्वास्थ्य जैसे जीवन के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। व्यवसाय जीवन में, सूर्य की रोशनी की तरह उत्साह के साथ कार्य करना चाहिए। परिवार में, पानी के स्वाद की तरह मीठे रिश्तों को बनाए रखना चाहिए। स्वास्थ्य में, सूर्य की रोशनी की तरह सक्रिय रहना चाहिए। इस सुलोचन के माध्यम से, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भगवान कृष्ण की शक्ति को समझकर, उनकी कृपा से आगे बढ़ना चाहिए। इससे, मन की स्थिति शांत रहकर, दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।