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श्लोक : 6 / 42

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
मैं जन्मा नहीं हूँ, फिर भी मैं अमर आत्मा हूँ; मैं सभी जीवों का भगवान हूँ, फिर भी अपनी स्वाभाविक शक्ति से मैं स्वयं जन्म लेता हूँ।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, परिवार
इस भगवद गीता के श्लोक में भगवान श्री कृष्ण अपने दिव्य अवतार के रहस्य को प्रकट करते हैं। मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र वाले लोग, शनि ग्रह के आशीर्वाद से अपने जीवन में व्यवसाय और वित्तीय स्थिति को सुधार सकते हैं। शनि ग्रह उनकी मेहनत को मान्यता देता है और उन्हें व्यवसाय में प्रगति और वित्तीय समृद्धि प्रदान करता है। परिवार में एकता और सद्भावना बनी रहे, उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का अच्छी तरह से प्रबंधन करना चाहिए। भगवान कृष्ण की उपदेशों का पालन करते हुए, वे अपने जीवन में धर्म की स्थापना और संतुलन बना सकते हैं। व्यवसाय में ईमानदारी और जिम्मेदारी का भाव रखने पर, वे शांति से जी सकते हैं। वित्तीय प्रबंधन में कंजूसी अपनाकर, कर्ज के बोझ को कम करके, वित्तीय स्थिति को सुधारना चाहिए। परिवार की भलाई पर ध्यान देकर, एकता के साथ कार्य करने पर, किसी भी चुनौती का सामना करना आसान हो जाता है। इस प्रकार, भगवान कृष्ण के दिव्य अवतार के रहस्य को समझकर, वे अपने जीवन में प्रगति प्राप्त कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।