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श्लोक : 4 / 43

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
कर्मों को किए बिना मनुष्य निष्क्रियता को प्राप्त नहीं कर सकता; और केवल त्याग से मनुष्य पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकता।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ्य
यह भगवद गीता का श्लोक कर्म में प्राथमिकता की बात करता है। मकर राशि में जन्मे लोग सामान्यतः मेहनती होते हैं, वे अपने व्यवसाय में प्रगति करना चाहते हैं। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र उन्हें स्थिर मानसिकता प्रदान करता है, जिससे वे अपने कर्मों में दृढ़ रहते हैं। शनि ग्रह उन्हें धैर्य और आत्मविश्वास देता है। व्यवसायिक जीवन में, उन्हें अपने कर्तव्यों को पूरी तरह से निभाना चाहिए; इससे उनका परिवार का कल्याण भी बढ़ेगा। परिवार में, उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को समझकर कार्य करना चाहिए, जिससे परिवार में शांति बनी रहे। स्वास्थ्य की रक्षा के लिए, उन्हें दैनिक व्यायाम और स्वस्थ आहार का पालन करना चाहिए। निष्क्रियता में रहने के बजाय, उन्हें अपने कर्मों का उपयोग उपयोगी तरीके से करना चाहिए, यही महत्वपूर्ण है। इससे, वे अपने जीवन में पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं। कर्मों में संलग्न होना और मन को शुद्ध रखना बहुत महत्वपूर्ण है, यह समझना चाहिए।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।