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श्लोक : 14 / 43

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
शरीर भोजन से बढ़ता है; वर्षा से भोजन संभव होता है; यज्ञ के क्रियाकलाप से वर्षा होती है; यज्ञ क्रिया से उत्पन्न होता है।
राशी कन्या
नक्षत्र हस्त
🟣 ग्रह बुध
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, स्वास्थ्य, भोजन/पोषण
यह भगवद गीता का श्लोक मनुष्यों के कर्तव्यों को याद दिलाता है। कन्या राशि और अस्तम नक्षत्र वाले लोग अपने कार्यों में निपुणता और ध्यान देंगे। बुध ग्रह ज्ञान और संबंधों का प्रतीक है, जो व्यवसाय में प्रगति में मदद करेगा। व्यवसाय जीवन में, उन्हें अपने कार्यों की योजना बनाकर कार्य करना चाहिए। स्वास्थ्य और भोजन/पोषण शरीर के विकास के लिए आवश्यक हैं, इसलिए स्वस्थ भोजन की आदतों का पालन करना चाहिए। वर्षा जैसे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना आवश्यक है। इससे व्यवसाय में स्थिरता और स्वास्थ्य में सुधार होगा। इस चक्र को समझकर, वे अपने जीवन को समृद्ध बना सकते हैं। अपने कर्तव्यों का पालन करके, वे दिव्य शक्तियों को आकर्षित कर सकते हैं। इससे उनका जीवन समृद्ध होगा। इस प्रकार, वे मानसिक शांति के साथ जी सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।