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श्लोक : 44 / 78

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
कृषि, पशुपालन और व्यापार करना वैश्य [व्यापारी] का स्वाभाविक कार्य है; और सेवा करने की प्रवृत्ति रखना शूद्रों [कर्मचारी] का स्वाभाविक कार्य है।
राशी वृषभ
नक्षत्र रोहिणी
🟣 ग्रह शुक्र
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, धर्म/मूल्य
इस भगवद गीता श्लोक के आधार पर, वृषभ राशि में जन्मे व्यक्तियों को अपने स्वाभाविक कार्यों की पहचान करनी चाहिए। रोहिणी नक्षत्र के अंतर्गत आने वाले लोग सुंदर कलाओं में प्रतिभाशाली होते हैं, और शुक्र ग्रह के प्रभाव से, वे संस्कृति में निपुणता और नयापन के साथ कार्य करेंगे। व्यवसाय में, वे अपनी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग करके प्रगति करेंगे। परिवार में, वे कल्याण के लिए कार्य करते हुए रिश्तों को मजबूत करेंगे। धर्म और मूल्यों का सम्मान करते हुए, वे समाज में अच्छा नाम प्राप्त करेंगे। इस प्रकार, वे अपने स्वाभाविक कार्यों का सही पालन करके समाज और अपने लिए लाभकारी बनेंगे। भगवान कृष्ण के उपदेशों के आधार पर, अपने धर्म को जानकर उसके अनुसार चलकर, मानसिक संतोष और आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।