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श्लोक : 27 / 34

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
कुंठी के पुत्र, तुम जो कुछ भी करो, जो कुछ भी खाओ, जो कुछ भी दो, जो कुछ भी दान करो, जो भी तप करो, उसे मेरे लिए प्रसाद के रूप में करो।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, वित्त
इस श्लोक में भगवान कृष्ण द्वारा दी गई शिक्षाएं, मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक हैं। शनि ग्रह के प्रभाव में, इस राशि और नक्षत्र में जन्मे लोग कठिन परिश्रम को महत्व देते हैं। व्यवसाय और वित्तीय प्रयासों में, उन्हें जो कुछ भी करना है, उसे भगवान को समर्पित करने के मनोभाव के साथ करना चाहिए। इससे उन्हें व्यवसाय में स्थिरता प्राप्त होगी। परिवार की भलाई में, उन्हें रिश्तों को बनाए रखना चाहिए और परिवार के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए, इसके लिए भगवान की कृपा की प्रार्थना करनी चाहिए। इससे परिवार में शांति बनी रहेगी। वित्तीय मामलों में, उन्हें अपने खर्चों को नियंत्रित करना चाहिए और आवश्यक बचत करनी चाहिए। शनि ग्रह के प्रभाव के कारण, उन्हें अपने प्रयासों में गंभीरता से कार्य करना चाहिए। इस प्रकार, सभी कार्यों को भगवान को समर्पित करके कार्य करने से, वे जीवन में लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।