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श्लोक : 18 / 28

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
जब दिन आता है, सब कुछ उस स्थान पर प्रकट होता है जो प्रकट नहीं हुआ है; जब रात आती है, सब कुछ उस स्थान से फिर से अवशोषित हो जाता है जो प्रकट हुआ है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, परिवार
यह भगवद गीता का श्लोक जीवन के चक्र को दर्शाता है, जो मकर राशि और उत्तराद्रा नक्षत्र से संबंधित है। शनि ग्रह के प्रभाव में, इस राशि और नक्षत्र वाले लोग अपने व्यवसाय में बहुत जिम्मेदारी से कार्य करेंगे। व्यवसायिक जीवन में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन शनि ग्रह की कठिन मेहनत से वे सफल होंगे। वित्तीय स्थिति में, उन्हें योजनाबद्ध तरीके से खर्चों का प्रबंधन करना चाहिए। पारिवारिक जीवन में, उन्हें रिश्तों के साथ निकट रहना चाहिए, लेकिन कभी-कभी शनि ग्रह के कारण मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। इस चक्र को समझकर, वे अपने जीवन में स्थिरता प्राप्त कर सकते हैं। दिन और रात की तरह, जीवन के उतार-चढ़ाव का संतुलन से सामना करना आवश्यक है। इससे, वे अपने जीवन को शांत और खुशहाल तरीके से जी सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।