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श्लोक : 17 / 28

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
ब्रह्मा का दिन हजार युगों को समाहित करता है, हजार युगों के अंत में ब्रह्मा की रात आती है; जो लोग इसे जानते हैं, वे दिन और रात के क्रम को समझेंगे।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, दीर्घायु
भगवद गीता का यह श्लोक ब्रह्मा के दिन और रात की लंबी समयावधियों को दर्शाता है। इसे जानने वाले जीवन के चक्र को समझने और समय की लंबी यात्रा को महसूस करने पर जोर देते हैं। मकर राशि और उत्तराद्र्ष्टा नक्षत्र वाले लोग, शनि ग्रह के प्रभाव में होने के कारण, वे जीवन के चक्रों को गहराई से समझेंगे। व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में, वे दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ कार्य करेंगे। शनि ग्रह का प्रभाव उन्हें जिम्मेदार और स्थिर बनाता है। व्यवसाय में, वे दीर्घकालिक विकास की ओर बढ़ेंगे। परिवार में, वे रिश्तों को स्थिर करने की क्षमता रखते हैं। लंबी उम्र पाने के लिए, वे स्वस्थ जीवनशैली का पालन करेंगे। यह श्लोक उन्हें जीवन के परिवर्तनों को स्वीकार कर शांति से रहने का मार्गदर्शन करता है। इससे वे जीवन के चक्रों और उसकी निरंतरता को समझकर मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।