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श्लोक : 21 / 29

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
जो बाहरी सुखों से बंधा नहीं है, वह आत्मा के भीतर सुख को देखता है; योग में स्थिर रहकर मन को समाहित करने वाला, अमर सुख को प्राप्त करता है।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, करियर/व्यवसाय
मकर राशि में जन्मे लोगों के लिए उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और शनि ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस श्लोक के आधार पर, उन्हें बाहरी सुखों की बजाय अपनी आंतरिक आत्मा में आनंद प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। शनि ग्रह, त्याग और आत्मनियंत्रण को बल देने वाला ग्रह है। इसलिए, मकर राशि और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे लोग अपने मन को योग में स्थिर करके, मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर ध्यान देकर, वे दीर्घकालिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। व्यवसायिक जीवन में, वे अपनी आंतरिक शक्ति का उपयोग करके प्रगति कर सकते हैं। बाहरी संसार के दबावों को पार करके, अपनी आंतरिक आत्मा के माध्यम से आनंद प्राप्त करने से, वे जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इससे, वे मानसिक शांति के साथ जी सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।