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श्लोक : 34 / 55

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
'दुर्योधन, भीष्म, जयद्रथ, कर्ण और अन्य शक्तिशाली योद्धाओं को तुम मारोगे' इस विचार को, अडिग मन के साथ छोड़ दो; युद्ध में भाग लो; युद्ध में अपने शत्रुओं को पराजित करो।
राशी वृश्चिक
नक्षत्र अनुराधा
🟣 ग्रह मंगल
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, परिवार, मानसिक स्थिति
इस भगवद गीता श्लोक के आधार पर, वृश्चिक राशि और अनुषा नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए मंगल ग्रह की कृपा बहुत अधिक है। इन्हें अपने व्यवसाय में बहुत दृढ़ता से कार्य करना चाहिए। व्यवसायिक जीवन में कई चुनौतियों का सामना करने का साहस इनके पास होगा। पारिवारिक संबंधों और निकटता को बढ़ाने के लिए, इन्हें अपनी मानसिकता को स्थिर रखकर, विश्वास के साथ कार्य करना चाहिए। मंगल ग्रह की कृपा से, ये अपनी मानसिकता को नियंत्रित कर किसी भी समस्या का साहसपूर्वक सामना कर सकते हैं। परिवार की भलाई के लिए किए गए प्रयास सफल होंगे। व्यवसाय में नए अवसरों की खोज करनी चाहिए और अपनी क्षमताओं को उजागर करना चाहिए। जब मानसिकता स्थिर होती है, तो पारिवारिक संबंध और मजबूत होते हैं। जब ये अपने कार्यों में दृढ़ रहते हैं, तो जीवन में सफलता प्राप्त करने के अवसर बढ़ जाते हैं। मानसिकता को स्थिर रखना, परिवार की भलाई के लिए महत्वपूर्ण है। इन्हें अपने व्यवसाय में आगे बढ़ने के लिए, मंगल ग्रह की कृपा के साथ साहसपूर्वक कार्य करना चाहिए।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।