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श्लोक : 33 / 55

भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण
बाएँ हाथ में धनुष लिए हुए, इसलिए, तुम उठो; अपनी महिमा को प्राप्त करो; अपने शत्रुओं को पराजित करो; समृद्ध राज्य का अनुभव करो; वास्तव में, ये सभी मनुष्य पहले से ही मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं; अब, तुम केवल एक उपकरण हो।
राशी मकर
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
🟣 ग्रह शनि
⚕️ जीवन के क्षेत्र करियर/व्यवसाय, वित्त, परिवार
इस भगवद गीता के श्लोक में, भगवान कृष्ण अर्जुन को युद्ध की आवश्यकता को समझाते हैं। इस संदर्भ में, मकर राशि में जन्मे लोग अपनी जिम्मेदारियों को बहुत गंभीरता से निभाने की प्रवृत्ति रखते हैं। उत्तराद्र्रा नक्षत्र उन्हें स्थिर मानसिकता प्रदान करता है। शनि ग्रह उन्हें आत्मविश्वास और जिम्मेदारी देता है। पेशेवर जीवन में, उन्हें अपने प्रयासों को दृढ़ता से जारी रखना चाहिए। वित्तीय प्रबंधन में, उन्हें योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना चाहिए। परिवार में, उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को समझकर रिश्तों को बनाए रखना चाहिए। यह श्लोक उन्हें जिम्मेदारी निभाने की शक्ति प्रदान करता है। भगवान उन्हें मार्गदर्शन करेंगे, इस विश्वास के साथ, वे अपने जीवन में प्रगति कर सकते हैं। जिम्मेदारी निभाते हुए, वे अपने मन को शांत रख सकते हैं। इससे, वे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
भगवद गीता की व्याख्याएँ AI द्वारा जनित हैं; उनमें त्रुटियाँ हो सकती हैं।